आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang), 25 अगस्त 2025 : आज श्री वराह जयंती, जानें शुभ मुहूर्त का समय
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आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang), 25 अगस्त 2025 : आज श्री वराह जयंती, जानें शुभ मुहूर्त का समय

Aaj ka Panchang 25 August 2025

Aaj ka Panchang 25 August 2025

Aaj ka Panchang 25 August 2025: आज यानी 25 अगस्त को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि है। इस तिथि का समापन दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर होगा। इसके बाद तृतीया तिथि की शुरुआत होगी। इस तिथि पर हर साल वराह जयंती मनाया जाता है। भगवन वराह भगवान विष्णु के तीसरे हैं। इस दिन भगवान वराह की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस बार वराह जयंती पर कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 25 August 2025) के बारे में।

तिथि: शुक्ल द्वितीय

मास पूर्णिमांत: भाद्रपद

दिन: सोमवार

संवत्: 2082

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 56 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 50 मिनट पर

चंद्रमा का उदय: सुबह 07 बजकर 39 मिनट पर

चन्द्रास्त: सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर

सूर्य राशि: सिंह

चंद्र राशि: सिंह

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

अमृत काल: रात्रि 08 बजकर 06 मिनट से 09 बजकर 49 मिनट तक

अशुभ समय अवधि

राहुकाल: प्रातः 07 बजकर 32 बजे से 09 बजकर 09 मिनट तक

गुलिक काल: दोपहर 02 बजे से 03 बजकर 37 मिनट तक

यमगण्ड: प्रातः 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में रहेंगे…

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र: 26 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 50 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: विनम्रता, मेहनती स्वभाव, बुद्धिमत्ता, मददगार, उदार, ईमानदारी, बुद्धिमान, अध्ययनशील और परिश्रमी

नक्षत्र स्वामी: सूर्य

राशि स्वामी: सूर्य, बुध

देवता: आर्यमन (मित्रता के देवता)

गुण: राजस

प्रतीक: बिस्तर

वराह जयंती: धर्म और रक्षा का पर्व

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह स्वरूप की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष नामक दैत्य के द्वारा पाताल लोक में ले जाए गए पृथ्वी देवी (भूदेवी) का उद्धार किया था।

वराह देव का यह स्वरूप धरती की रक्षा और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। कहा जाता है कि जब-जब अधर्म बढ़ता है और पृथ्वी संकट में पड़ती है, तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर संतुलन स्थापित करते हैं।

इस दिन भक्तजन व्रत-उपवास रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और धर्म की रक्षा के लिए उनका स्मरण करते हैं। यह पर्व हमें यह प्रेरणा देता है कि चाहे विपत्ति कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय निश्चित है।